बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ SHARE FacebookTwitter बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँधूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करतेMoreThis is a great तपिश शायरी. SHARE FacebookTwitter Tagsतपिश शायरी