यह ना थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होतातेरे वादे पर जाएँ हम, तो यह जान झूठ जानाकि ख़ुशी से मर ना जाते, अगर ऐतबार होता
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