यह ना थी हमारी क़िस्मतयह ना थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होतातेरे वादे पर जाएँ हम, तो यह जान झूठ जानाकि ख़ुशी से मर ना जाते, अगर ऐतबार होता
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैंजीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैंवो आये न आये हम इंतज़ार करते हैंझूठा ही सही मेरे यार का वादा हैहम सच मान कर ऐतबार करते हैं
तेरी नज़रों से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हमतेरी नज़रों से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हमफिर इस तरह, नज़रें घुमाने की जरूरत क्या थी;तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते;फिर बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी