किस फ़िक्र किस ख्याल में खोया हुआ सा हैदिल आज तेरी याद को भूला हुआ सा हैगुलशन में इस तरह कब आई थी फसल-ए-गुलहर फूल अपनी शाख से टूटा हुआ सा हैशब्दार्थफसल-ए-गुल = बहार का मौस
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