गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख

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गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा इत्मीनान तो र
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जब ख़ुशी ही ना ठहरी तो ग़म की क्या औकात है

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