हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने SHARE FacebookTwitter हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमनेतेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमनेतू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेलाबस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमनेMoreThis is a great सितम पर शायरी. SHARE FacebookTwitter Tagsसितम पर शायरी