इसी से जान गया मैं कि वक़्त ढलने लगे SHARE FacebookTwitter इसी से जान गया मैं कि वक़्त ढलने लगेमैं थक के छाँव में बैठा और पाँव चलने लगेमैं दे रहा था सहारे तो एक हजूम में थाजो गिर पड़ा तो सभी रास्ता बदलने लगेMoreThis is a great बदलने पर शायरी. If you like रास्ता पर शायरी then you will love this. SHARE FacebookTwitter Tagsबदलने पर शायरी, रास्ता पर शायरी