खुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में

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खुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में
माँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं में
तुम चाट पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकल
यह चाँद बहुत भटकता है सावन की घटाओं में

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