तिश्नगी जम गई पत्थर की तरह होंठों पर

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तिश्नगी जम गई पत्थर की तरह होंठों पर;

डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला

This is a great तिश्नगी पर शायरी. If you like पत्थर के सनम शायरी then you will love this. Many people like it for होंठों की शायरी.

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