बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ

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बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते

This is a great तपिश शायरी.

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