कर गया ना इश्क बर्बाद

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कर गया ना इश्क बर्बाद? . .. ... और गीत गाओ महोब्बत के! मैं तो चिराग हूँ, तेरे आशियानों का कभी न कभी तो बुझ जाऊंगा; आज तुझे शिकायत है, मेरे उजाले से, कल 'अँधेरे' में बहुत याद आऊंगा! तेरी जुदाई भी हमें प्यार करती है; तेरी याद बहुत बेकरार करती है; वह दिन जो तेरे साथ गुज़ारे थे; नज़रें तलाश उनको बार-बार करती हैं!

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