उम्मीदों की मंजिल ढह गई SHARE FacebookTwitter उम्मीदों की मंजिल ढह गई; ख़्वाबों की दुनिया बह गई; अबे तेरी क्या इज्ज़त रह गई; जब एक झकास आइटम तेरे को; 'भैया' कहके 'राखी' पहना गई। हैप्पी रक्षा-बंधन!More SHARE FacebookTwitter
ओस की बूंदों से भी प्यारी है, मेरी बहना, गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है, मेरी बहना; आसमाँ से .......Read Full Message
कभी बहनें हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती हैं; लेकिन बहनें ही, हमारे सबसे करीब होती हैं; .......Read Full Message