हर इलज़ाम का हक़दार वो हमें बना जाती है SHARE FacebookTwitter हर इलज़ाम का हक़दार वो हमें बना जाती है; हर खता की सजा वो हमें बता जाती है; हम हर बार ख़ामोश रह जाते हैं; क्योंकि वो हर बार "रक्षा-बंधन" का डर दिखा जाती है। हैप्पी रक्षा-बंधन!More SHARE FacebookTwitter
ओस की बूंदों से भी प्यारी है, मेरी बहना, गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है, मेरी बहना; आसमाँ से .......Read Full Message
कभी बहनें हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती हैं; लेकिन बहनें ही, हमारे सबसे करीब होती हैं; .......Read Full Message