वो सहरी की ठंडक SHARE FacebookTwitter वो सहरी की ठंडक; वो इफ़्तार की रौनक; वो आसमान का नूर; वो तारों की चमक; वो मस्जिदों का संवरना; वो मीनारों का चमकना; वो मुसलमानों की धूम; वो फरिश्तों का हूजूम। इन सबके साथ रमदान मुबारक!More SHARE FacebookTwitter
ख्वाहिशों के समंदर के मोती तेरे नसीब हों; फूल चेहरा, फूल लहजे तेरे हमसफ़र हों; कुछ.......Read Full Message