मुहब्बत के लबोँ पर

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मुहब्बत के लबोँ पर, फिर वही तकरार बैठी है एक प्यारी सी मीठी सी,कोई झनकार बैठी है! तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा, मैँ तेरे बिन, तू मेरे बिन, वहाँ बेकार बैठ है!

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