किस रावण की काटूं बाहें, किस लंका को आग लगाऊँ..!
घर घर रावण पग पग लंका, इतने राम कहाँ से लाऊँ..,!!!
जरुरी है अपने ज़ेहन में 'राम' को जिन्दा रखना...
क्योंकि पुतले जलाने से कभी 'रावण' नहीं मरते..
क्यों ना आज अपने ही भीतर झांका जाय,
एक तीर अंदरके रावण पर भी चलाया जाय ।
विजयी दशमी की आपको परिवार सहित हार्दिक बधाई....