सलोकु मरदाना १॥

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सलोकु मरदाना १॥
कलि कलवाली कामु मदु मनूआ पीवणहारु ॥
क्रोध कटोरी मोहि भरी पीलावा अहंकारु ॥
मजलस कूड़े लब की पी पी होइ खुआरु ॥
करणी लाहणि सतु गुड़ु सचु सरा करि सारु ॥
गुण मंडे करि सीलु घिउ सरमु मासु आहारु ॥
गुरमुखि पाईऐ नानका खाधै जाहि बिकार ॥१॥
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की बधाई!

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