कभी खुशी की आशा

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कभी खुशी की आशा, कभी गम की निराशा;
कभी खुशियों की धूप, कभी हक़ीक़त की छाया;
कुछ खोकर कुछ पाने की आशा;
शायद यही है ज़िंदगी की सही परिभाषा।
सुप्रभात!

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