फिर एक सिगरेट जला रहा हुँ

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फिर एक सिगरेट जला रहा हुँ, फिर एक तिली बुजा रहा हुँ, : तेरी नजर मे ये एक गुनाह है, मै तो तेरी यादेँ भुला रहा हुँ, : समझना मत इसको मेरी आदत, मै तो बस धुआँ ऊडा रहा हुँ, : ये तेरी यादोँ के सिलसिले हैँ, मै तेरी यादे जला रहा हुँ, : मै पीकर इतना बहक चुका हुँ, के गम के किस्से सुना रहा हुँ, और पिला रहा हुँ, : है मेरी आँखेँ तो आज नम, मगर मै सबको हँसा रहा हुँ, : खोकर अपनी जिन्दगी मेँ, अपने बे-तन्हा प्यार को भुला रहा हुँ, : एक सिगरेट की शमां के बहाने, मै अपने आप को जला रहा हुँ....!!♥

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