एक नेपाली ने गुलजार साहब के पाँव पकड़
लिए और गुजारिश करने लगा
" दादा होम भी शायरी सिखेगा"
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काफी मान मनौवत के बाद गुलजार साहब
मान गए और बोले -
जैसा मै बोलूँ तुम वैसा ही बोलना।
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नेपाली :- ठीक है।
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गुलजार साहब :-
"ना गिला करुँगा, ना शिकवा करुँगा.....
तू सलामत रहे इस दुनिया में, रब से
यही दुआ करुँगा।"
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नेपाली ने दोहराया:-
"ना गीला कोरेगा, ना सूखा कोरेगा .....
तुम साला, मत रहो इस दुनिया में, रोब से
येही दुआ कोरेगा।"
गुलज़ार साहब बेहोश...