इतना तो ज़िंदगी में

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इतना तो ज़िंदगी में,
न किसी की खलल पड़े,
हँसने से हो सुकून,
न रोने से कल पड़े,
मुद्दत के बाद उसने,
जो की लुत्फ़ की निगाह,
जी खुश तो हो गया,
मगर आँसू निकल पड़े।

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