जकड़ती जन्जीरों का दोष नहीं मैंने हाथों की लकीर को कातिल कहा है जिसने माँग लिया तुझको मुझसे मैंने

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जकड़ती जन्जीरों का दोष नहीं मैंने हाथों की लकीर को कातिल कहा है जिसने माँग लिया तुझको मुझसे मैंने उस फकीर को कातिल कहा है किसी इन्साँ को क्या दोष दूँ मैं किसी इन्साँ को क्या दोष दूँ मैं मैंने लिखकर तकदीर लूटने वाले उस अमीर को कातिल कहा है.

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