मिर्ज़ा ग़ालिब कमरतोड़ महगाई और गरीबी से तंग आकर
डाकू बन गए और डकैती करने एक बैंक गए ,
बैंक में घुसते ही हवाई फायर करते हुए " अर्ज़ किया -
"तक़दीर में जो है वही मिलेगा,
हैंड्स-अप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा...!!
ग़ालिब ने फिर ऊँची आवाज में अर्ज किया -
"बहुत कोशिश करता हूँ उसकी यादों को भुलाने की,
ध्यान रहे कोई कोशिश न करना पुलिस बुलाने की...!!
फिर कैशियर की कनपटी में बंदूक रखते हुए से कहा-
"ए खुदा तूं कुछ ख्वाब मेरी आँखों से निकाल दे,
जो कुछ भी है, जल्दी से इस बैग में डाल दे...!!
कैश लेने के बाद ग़ालिब ने लाकर की तरफ इशारा करके कैशियर से कहा -
"जज्बातों को ना समझने वाला इश्क क्या सम्हालेगा
लाकर का पैसा क्या तेरा अब्बू बाहर निकलेगा ..!!
जाते जाते एक और हवाई फायर करते अर्ज किया -
"भुला दे मुझको क्या जाता है तेरा,
मार दूँगा गोली जो किसी ने पीछा किया मेरा...!!