मुट्ठी भर चने खाकर बाप एक लोटा पानी पी लेता है

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मुट्ठी भर चने खाकर बाप एक लोटा पानी पी लेता है, अपने बच्चे के महकते टिफिन को सूंघकर वह जी लेता है| धूप में रिक्शा खींचकर कमाये चंद रुपयों से वह, आईएएस की तैयारी करते बेटे के लिए घी लेता है| बच्चों को न तरसने दिया जिसने कपड़ों के लिए, फटे हुए पाजामे को चुपके से वह बाप सी लेता है| जो भी बना है घर में सब औलादों को परोसकर, अपने लिए वह भूखा बाप छोटी सी तस्तरी लेता है| उसकी जेब से बरसते हैं चॉकलेट और बिस्कीट, बच्चों की मासूम हंसी में हीं वह अपनी खुशी समझता हं

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