चला चला रे डलेवर गाडी होले-होले ।
अंजन की सीटी मे म्हारो मन डोले ।
अलवर सु जब गाडी चाली मे बेठी थी सुधी ।
बडो जोर को झटको लाग्योँ जब मे हो गई ऊँधी ॥
चला चला....
बीजली को पंखो चाले गुँज रहयो भोरोँ ।
बैठ रेल मे गावेँ लाग्यो और छोटो सो छोरो ॥
डुँगर भागे नदी भागे ओर भागे खेत ।
ढोढाँ की तो टोली भागे उडे रेत ही रेत ॥
चला चला रे......
बडी जोर को चाले इंजन देवे जोर की सीटी ।
डब्बा-डब्बा घुम रहयो है टोपी वालो टीटी ॥
चला चला रे----