एक अनपढ़ आदमी अपनी पढ़ी-
लिखी पत्नी को दिल्ली घुमाने ले
गया! जब वो कुतुबमीनार देखने जाते हैं तो…
पति : देख ले गोर से फिर
ना कहना की लालकिला नहीं दिखाया!
पत्नी : अजी….ये
तो कुतुबमीनार है! (कहकर मुस्करा उठती है और पति को गुस्सा आता है)
पति (थप्पड़ मारकर) : दिल्ली घुमाने मैं लाया हूं या तू लाई है?
गुस्से में दोनों वापिस अपने गांव आ जाते हैं। पति शाम को कहता है
की पराठे बना लेना। पत्नी पराठे की जगह. बाजरे
की रोटी बनाती है ।
और पति को परोसते हुए कहती है..ये लो पराठे
खा लो । पति : ये पराठे हैं? ये तो बाजरे की रोटी है ।
पत्नी (थप्पड़ मारकर) : पराठे तूने बनाये हैं
या मैंनें ……