निकलता है इंसान रोजीरोटी कमाने को

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निकलता है इंसान रोजीरोटी कमाने को, पता नहीं सठीक पहुंच पायेगा ठिकाने को, आतंकवाद,बलात्कार,भ्रष्टाचार है बेपाहाँ, क्या इस को कहेंगे आज़ादी जमाने को !!

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