लन्दन के फुटपाथ पर दो भारतीय रुके
और जूते पोलिश करने
वाले से एक
व्यक्ति ने जूते पोलिश करने
को कहा।
जूते पोलिश हो गये..
पैसे चुका दिए और
वो दोनों अगले जूते पोलिश करने वाले के
पास पहुँच गये।
वहां पहुँच कर भी उन्होंने वही किया।
जो व्यक्ति अभी जूते पोलिश करवा के
आया था,
उसने फिर जूते पोलिश करवाए
और पैसे चूका कर अगले जूते पोलिश करने वाले
के पास चला गया।
जब उस व्यक्ति ने 7-8 बार पोलिश किये
हुए जूतो को पोलिश करवाया तो उसके
साथ के व्यक्ति के सब्र का बाँध टूट पड़ा।
उसने पूछ ही लिया "भाई जब एक बार में
तुम्हारे जूते पोलिश हो चुके तो बार-बार
क्यों पोलिश करवा रहे हो"?
प्रथम व्यक्ति "ये अंग्रेज मेरे देश में राज़ कर रहे हैं,
मुझे इन घमंडी अंग्रेजो से जूते साफ़ करवाने
में बड़ा मज़ा आता है।
वह व्यक्ति था स्वतंत्रता का महानायक
सुभाष चन्द्र बोस।
जय हिंद जय भारत