बड़े बुजुर्ग कहते हैँ की उन्होँने देश को आजाद होते देखा है पता नही कौन सी आजादी की

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बड़े बुजुर्ग कहते हैँ की उन्होँने देश को आजाद होते देखा है पता नही कौन सी आजादी की बात करते हैँ वो ... हमने तो यहां बच्चोँ को एक वक्त की रोटी के लिये तिरंगा बेंचते देखा है॥ जय हिँद

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