एक शादीशुदा आदमी ने अपनी कविता में कहा है

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एक शादीशुदा आदमी ने अपनी कविता में कहा है...
माँग भरने की सजा कुछ कदर पा रहा हूँ कि माँग पूरी करते-करते माँग के खा रहा हूँ!

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