वो ज़माना अलग था जब चलते-चलते यूँ ही कोई मिल जाया करती थी।

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वो ज़माना अलग था जब चलते-चलते यूँ ही कोई मिल जाया करती थी।
अब तो दौड़-दौड़ के पीछा भी कर लो तो भी कोई भाव नहीं देती।
सिंगल

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