फ़िक्र-ए-रोज़गार ने फ़ासले बढा दिएफ़िक्र-ए-रोज़गार ने फ़ासले बढा दिएवरना सब यार एक साथ थे, अभी कल ही की तो बात है
इस दिल को और बेकरार तो होना ही थाइस दिल को और बेकरार तो होना ही थाकिसी न किसी से उसे प्यार तो होना ही थातुम अपने आस्तीन में गर साँप पाल रहे होआप को थौड़ा ख़बरदार तो होना ही था
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिबजिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिबअब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिबमैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिबयह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी