कुछ इस तरह अपने दिल को बेवकूफ बनाता हूँ मैंकुछ इस तरह अपने दिल को बेवकूफ बनाता हूँ मैंकि तुमसे बिछड़ते वक़्त भी खुल के मुस्कुराता हूँ मैं
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्लअच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ललेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगेतुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगेमगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे
ये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क हैये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क हैतड़प उनकी उठती है और दर्द लफ्जों में उतर आता है
आ ही गया वो मुझ को लहद में उतारनेआ ही गया वो मुझ को लहद में उतारनेग़फ़लत ज़रा न की मिरे ग़फ़लत-शिआर ने