किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती हैकिस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती हैजो नहीं मिलता उसी से मोहब्बत क्यों होती हैकितने खाएं हैं धोखे इस मोहब्बत की राहों मेंफिर भी आँखें उसी के इंतज़ार में क्यों रोती हैं
हमें उनसे कोई शिकायत नहींहमें उनसे कोई शिकायत नहींशायद हमारी किस्मत में चाहत नहींमेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गयापूछा तो कहा, "ये मेरी लिखावट नहीं"
उन्हें शिकायत है हमसे कि हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हैंउन्हें शिकायत है हमसे कि हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हैंना समझ वो क्या जाने हम तो हर चेहरे में वो ही नज़र आते हैं
हमें अपने हबीब से यही एक शिकायत हैहमें अपने हबीब से यही एक शिकायत हैज़िंदगी में तो आए नहीं, लेकिन हमें सपनों में सताते रहे
हमें उनसे कोई शिकायत नहींहमें उनसे कोई शिकायत नहींशायद हमारी ही किस्मत में चाहत नहींहमारी तक़दीर को लिख कर तो ऊपर वाला भी मुकर गयापूछा जो हमने तो बोला यह मेरी लिखावट नहीं
उनसे शिकवे और शिकायत इतनी है कि नजरें मिलाने को मन नही करताउनसे शिकवे और शिकायत इतनी है कि नजरें मिलाने को मन नही करताऔर मोहब्बत इतनी कि दूर जाने को दिल नही करता