तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकीतमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकीकमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है
और सब भूल गएऔर सब भूल गए..और सब भूल गए हर्फ-ए-सदाक़त लिखनारह गया काम हमारा ही बगावत लिखनान सिले की न सताइश की तमन्ना हमकोहक में लोगों के हमारी तो है आदत लिखनाहम ने तो भूलके भी शह का कसीदा न लिखाशायद आया इसी खूबी की बदौलत लिखनादह्र के ग़म से हुआ रब्त तो हम भूल गएसर्व-क़ामत की जवानी को क़यामत लिखनाकुछ भी कहते हैं कहें शह के मुसाहिब 'जालिब'रंग रखना यही अपना, इसी सूरत लिखना
बात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थेबात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थेअब बात इतनी बढ़ गई है कि तुम बिकुछ अच्छा नहीं लगता
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्सेसमेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्सेअगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी