हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैंहम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैंजो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते
उम्र कैद की तरह होते हैं कुछ रिश्तेउम्र कैद की तरह होते हैं कुछ रिश्तेजहाँ ज़मानत देकर भी रिहाई मुमकिन नहीं
किसी से जुदा होना इतना आसान होता तोकिसी से जुदा होना इतना आसान होता तोरूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते नहीं आते
कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्तेकुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्तेहर कदम पर काँच बन कर जख्म देते हैं
वहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्तेवहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्तेकसूर हर बार गल्तियों का नही होता
कितने अनमोल होते हैं ये यादों के रिश्ते भीकितने अनमोल होते हैं ये यादों के रिश्ते भीकोई याद ना भी करे चाहत फिर भी रहती है