कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जाकहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जावो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जावो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईंदिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जाअनुवाददिल-ए-मुंतज़िर = इंतज़ार करने वाला दि
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जाकहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जावो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जावो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईदिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा
भरे हैं काँटों से रास्ते सारेभरे हैं काँटों से रास्ते सारे, मगर फिर भी हम चले जा रहे हैंभूल गया है कोई अपना हमें, मगर हम उन्हें याद किये जा रहे हैंआयेंगे एक बार वो फिर ये उम्मीद हैइसी उम्मीद के सहारे हम बस जिए जा रहे हैं
कदम यूँ ही डगमगा गए रास्ते मेंकदम यूँ ही डगमगा गए रास्ते मेंवैसे संभालना हम भी जानते थेठोकर भी लगी तो उसी पत्थर सेजिसे हम अपना मानते थे
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम नेरास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम नेकर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमनेहाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारोअपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने