कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जाकहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जावो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जावो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईदिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा
कदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते मेंकदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते मेंवर्ना संभलना हम भी जानते थेठोकर भी लगी तो उस पत्थर सेजिसे हम अपना मानते थे
वो रास्ते में पलटा तो रुक गया मैं भीवो रास्ते में पलटा तो रुक गया मैं भीफिर कदम, कदम न रहे, सफर, सफर न रहानज़रों से गिराया उसको कुछ इस तरह हम नेकि वो खुद अपनी नज़रों में मुताबिर न रहा
रास्ते में पत्थरों की कमी नहीं हैरास्ते में पत्थरों की कमी नहीं हैमन में टूटे सपनो की कमी नहीं हैचाहत है उनको अपना बनाने की मगरमगर उनके पास अपनों की कमी नहीं है
रास्ते कहा खत्म होते हैंरास्ते कहा खत्म होते हैं, ज़िन्दगी के इस सफ़र मेंमंजिल तो वही है, जहाँ ख्वाहिशें थम जाये
रास्ते कहाँ ख़त्म होते हैंरास्ते कहाँ ख़त्म होते हैं, जिन्दगी के सफ़र मेंमंजिल तो वहीं है जहाँ, ख्वाहिशें थम जाए