दुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझतीदुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझतीदिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझतीचाँद तनहा है तारो की इस बारात मेंदर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती
यह दुनिया पत्थर है जो जज़्बात नहीं समझतीयह दुनिया पत्थर है जो जज़्बात नहीं समझतीदिल में जो है छुपी वो बात नहीं समझतीयह चाँद भी तनहा है तारों की बारात मेंदर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती
मिलकर जुदा हुएमिलकर जुदा हुए..मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हमएक दूसरे की याद में रोया करेंगे हमआँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भरमोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हमजब दूरियों की आग दिलों को जलायेगीजिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हमगर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी "क़तील"साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम
मिलकर जुदा हुएमिलकर जुदा हुए..मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हमएक दूसरे की याद में रोया करेंगे हमआँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भरमोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हमजब दूरियों की आग दिलों को जलायेगीजिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हमगर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी 'क़तील'साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम
हमारी ज़िन्दगी काहमारी ज़िन्दगी का..हमारी ज़िन्दगी का इस तरह हर साल कटता हैकभी गाड़ी पलटती है कभी तिरपाल कटता है;.दिखाते हैं पड़ोसी मुल्क आँखें तो दिखाने दो;कहीं बच्चों के बोसे से भी माँ का गाल कटता है;इसी उलझन में अकसर रात आँखों में गुज़रती है;बरेली को बचाते हैं तो नैनीताल कटता है;.कभी रातों के सन्नाटे में भी निकला करो घर से;कभी देखा करो गाड़ी से कैसे माल कटता है;.सियासी वार भी तलवार से कुछ कम नहीं होता;कभी कश्मीर जाता है कभी बंगाल कटता है
सारी बस्ती में ये जादूसारी बस्ती में ये जादू..सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझकोजो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझकोसदियों का रस जगा मेरी रातों में आ गयामैं एक हसीन शक्स की बातों में आ गयाजब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आएदेर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आएगुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया करउड़ जाए दुपट्टा तो खनक ओढ़ लिया करतुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहींएक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहींरात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोखे खाए हैंअपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए हैं