गुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँगुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँप्यास इतनी है कि नदियाँ तलाश करता हूँयहाँ पर लोग गिनाते है खूबियां अपनीमैं अपने आप में कमियाँ तलाश करता हूँ
इबादतखानो में क्या ढूंढते हो मुझेइबादतखानो में क्या ढूंढते हो मुझेमैं वहाँ भी हूँ, जहाँ तुम गुनाह करते हो
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैकहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैयहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल हैइलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैंके हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल हैये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारामैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिलहै जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुंजलाकरअरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल हैहज़ारों दिल मसल कर पांओ से झुंजला के फ़रमायालो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है।
कठिन है राहगुज़रकठिन है राहगुज़र..कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलोबहुत बड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलोतमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता हैमैं जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलोनशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहींबड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलोये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत हैकिसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलोअभी तो जाग रहे हैं चिराग़ राहों केअभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलोतवाफ़-ए-मन्ज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है'फ़राज़' तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो
क्या भला मुझ कोक्या भला मुझ को... . क्या भला मुझ को परखने का नतीज़ा निकला ;.ज़ख़्म-ए-दिल आप की नज़रों से भी गहरा निकला;..तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने;तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला;..जब कभी तुझको पुकारा मेरी तनहाई ने;बू-उड़ी धूप से, तसवीर से साया निकला;..तिश्नगी जम गई पत्थर की तरह होंठों पर;डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला
कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलोकठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो..कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलोबहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी देर साथ चलोतमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता हैये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलोनशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहींबड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलोये एक शब की मुलाक़ात भी गनीमत हैकिसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलोतवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जाना हमें भी करना है'फ़राज़' तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो