ना जाने कौन से गुनाह कर बैठे हैं।ना जाने कौन से गुनाह कर बैठे हैंजो तमन्नाओं की उम्र में तज़ुर्बे मिल रहे हैं
तो क्या हुआ जो आप नहीं मिलते हमसेतो क्या हुआ जो आप नहीं मिलते हमसे.मिला तो रब भी नहीं हमसेपर इबादत कहां रुकी हमसे.
अकेले हम बूँद हैंअकेले हम बूँद हैं, मिल जाएं तो सागर हैअकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैअकेले हम कागज हैं, मिल जाए तो किताब हैं