भरी महफिल में तन्हा मुझे रहना सिखा दिया !भरी महफिल में तन्हा मुझे रहना सिखा दिया तेरे प्यार ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप -चाप सहना सिखा दिया !
रोया है बहुत तब जरा करार मिला हैरोया है बहुत तब जरा करार मिला हैइस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला हैगुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर सेएक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है
ज़िंदगी हसीं है इससे प्यार करोज़िंदगी हसीं है इससे प्यार करोहर रात की नयी सुबह का इंतज़ार करोवो पल भी आएगा, जिसका आपको इंतज़ार हैबस अपने रब पर भरोसा और वक़्त पर ऐतबार करो
दुनियाँ में इतनी रस्में क्यों हैंदुनियाँ में इतनी रस्में क्यों हैंप्यार अगर ज़िंदगी है तो इसमें कसमें क्यों हैंहमें बताता क्यों नहीं ये राज़ कोईदिल अगर अपना है तो किसी और के बस में क्यों है।
यूँ ही रखते रहे बचपन से दिल साफ़ हम अपनायूँ ही रखते रहे बचपन से दिल साफ़ हम अपना;पता नहीं था कि कीमत तो चेहरों की होती है दिल की नहीं.
उम्र-ऐ-जवानी फिर कभी ना मुस्करायी बचपन की तरहउम्र-ऐ-जवानी फिर कभी ना मुस्करायी बचपन की तरहमैंने साइकिल भी खरीदी, खिलौने भी लेके देख लिए