नसीब आज़माने के दिननसीब आज़माने के दिन..नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैंक़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैंजो दिल से कहा है जो दिल से सुना हैसब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैंअभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दोकि लुटने-लुटाने के दिन आ रहे हैंटपकने लगी उन निगाहों से मस्तीनिगाहें चुराने के दिन आ रहे हैंसबा फिर हमें पूछती फिर रही हैचमन को सजाने के दिन आ रहे हैंचलो 'फ़ैज़' फिर से कहीं दिल लगायेंसुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं
मिलना इतिफाक था बिछरना नसीब थामिलना इतिफाक था बिछरना नसीब थावो तुना हे दूर चला गया जितना वो करीब थाहम उसको देखने क लिए तरसते रहेजिस शख्स की हथेली पे हमारा नसीब था
ठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीबठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीबवरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया
जिसके नसीब मे हों ज़माने भर की ठोकरेंजिसके नसीब मे हों ज़माने भर की ठोकरेंउस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहींहमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहींऔर बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम
नज़र और नसीब के मिलने का इत्तेफ़ाक़ कुछ ऐसा हैनज़र और नसीब के मिलने का इत्तेफ़ाक़ कुछ ऐसा हैकि नज़र को पसंद हमेशा वही चीज़ आती है, जो नसीब में नहीं होती है