शतरंज हम नही खेलतेशतरंज हम नही खेलतेक्योंकदुश्मनों की हमारे सामने बैठने की औकात नहींऔदोस्तों के सामने हम चाल नही चलते
बुरे वक्त में भी एक अच्छाई होती हैबुरे वक्त में भी एक अच्छाई होती हैजैसे ही ये आता है फालतू के दोस्त विदा हो जाते हैं
दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तोदुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो,एक कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है
बुलबुल के परो में बाज़ नहीं होतेबुलबुल के परो में बाज़ नहीं होतेकमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होतेजिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदतदोस्तों उन सिरों पर कभी ताज नहीं होते
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंआ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंजैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैंMeaningशय - ची
माना कि आदमी कोमाना कि आदमी कमाना कि आदमी को हँसाता है आदमीइतना नहीं कि जितना रुलाता है आदमीमाना गले से सब को लगाता है आदमीदिल में किसी-किसी को बिठाता है आदमीसुख में लिहाफ़ ओढ़ के सोता है चैन सेदुख में हमेशा शोर मचाता है आदमीहर आदमी की ज़ात अजीब-ओ-गरीब हैकब आदमी को दोस्तो! भाता है आदमीदुनिया से ख़ाली हाथ कभी लौटता नहींकुछ राज़ अपने साथ ले जाता है आदमी