ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्तग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्तवो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
हम वो फूल हैं जो रोज़ रोज़ नहीं खिलतेहम वो फूल हैं जो रोज़ रोज़ नहीं खिलतेयह वो होंठ हैं जो कभी नहीं सिलतेहम से बिछड़ोगे तो एहसास होगा तुम्हेंहम वो दोस्त हैं जो रोज़ रोज़ नहीं मिलते
तेरे जल्वों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्ततेरे जल्वों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्तअब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते हैं