बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दीबिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दीबिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दीमेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआखुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी
तुमसे दूरी का एहसास जब सताने लगातुमसे दूरी का एहसास जब सताने लगातेरे साथ गुज़ारा हर लम्हा याद आने लगाजब भी कोशिश की तुम्हें भुलाने कीतू और भी इस दिल के करीब आने लगा
हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैंहम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैंन जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता हैमैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँवो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है
क़दमों की दूरी से दिलों के फांसले नहीं बढ़तेक़दमों की दूरी से दिलों के फांसले नहीं बढ़तेदूर होने से एहसास नहीं मरतेकुछ क़दमों का फांसला ही सही हमारे बीचलेकिन ऐसा कोई पल नहीं जब हमको याद नहीं करते