रस्म-ए-उल्फतरस्म-ए-उल्फत..रस्म-ए-उल्फत सिखा गया कोईदिल की दुनिया पर छा गया कोईये क़यामत किसी तरह ना बुझेआग ऐसी लगा गया कोईदिल की दुनियाँ उजाड़ सी क्यों हैक्या यहाँ से चला गया कोईवक़्त-ए-रुख्सत गले लगा कर 'दाग'हँसते-हँसते रुला गया कोई
मै यह नहीं कहता कि मेरा सर न मिलेगामै यह नहीं कहता कि मेरा सर न मिलेगालेकिन मेरी आँखों में तुझे डर न मिलेगासर पर तो बिठाने को है तैयार जमानालेकिन तेरे रहने को यहाँ घर न मिलेगाजाती है, चली जाये, ये मैखाने कि रौनककमज़र्फो के हाथो में तो सागर न मिलेगादुनिया की तलब है, कनाअत ही न करनकतरे ही से खुश हो, तो समन्दर न मिलेगा
पहले सौ बारपहले सौ बार..पहले सौ बार इधर और उधर देखा हैतब कहीं डर के तुम्हें एक नज़र देखा हैहम पे हँसती है जो दुनियाँ उसे देखा ही नहींहम ने उस शोख को अए दीदा-ए-तर देखा हैआज इस एक नज़र पर मुझे मर जाने दोउस ने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा हैक्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहनामेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है
सोचता हूँ कंजूसों का एक डिपार्टमेंट बनाऊसोचता हूँ कंजूसों का एक डिपार्टमेंट बनाऊचेयरमैन की कुर्सी पर आपको बिठाऊदुनिया से आप को चंदा दिलवाऊताकि आप से कुछ मैसेज्स तो ले पाऊ
प्यार तो ज़िन्दगी का अफसाना है!प्यार तो ज़िन्दगी का अफसाना हैइसका अपना ही एक तराना हैपता है सबको मिलेंगे सिर्फ आंसूपर न जाने दुनिया में हर कोई क्यों इसका दीवाना है