सीने में जलनसीने में जलसीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ हैइस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूँ हैदिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढेपत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यूँ हैतन्हाई की ये कौन-सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ोता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यूँ हैहमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म कीवो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यूँ हैक्या कोई नई बात नज़र आती है हममेंआईना हमें देख के हैरान-सा क्यूँ है
निकले हम कहाँ सेनिकले हम कहाँ सनिकले हम कहाँ से और किधर निकलेहर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकलेतु समझाया किया रो-रो के अपनी बाततेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकलेबरसों करते रहे उनके पैगाम का इंतजारजब आया वो तो उनके बेवफा होने की खबर निकलेअब संभले के चले 'ज़हर' और सफ़र की सोचऐसा ना हो कि फिर से ये जगह उसी का शहर निकलेतु भी रखता इरादे ऊँचे तेरा भी कोई मक़ाम होतापर तेरी किस्मत की हमेशा हर बात पे मगर निकले।
जब भी मिलताजब भी मिलतजब भी मिलता हूँ तुझसेमेरी ज़िन्दगी उदास हो जाती हैमेरी हर धड़कन ख़ामोश हो जाती है;तेरी सुरमई आँखों की कसममेरी मोहब्बत सरे-बाज़ार बदनाम हो जाती हैतेरी धुंधली यादें सरे-आम मुझको डसती हैंजब भी चेहरे से तू नक़ाब उठाती हैतेरे दर्द का सिलसिला तब तक चलता रहता हैजब तक तू न नज़रें मेरे चेहरे से हटाती हैजब भी मिलता हूँ तुझसेमेरी ज़िन्दगी उदास हो जाती है
मुझसे मिलने कोमुझसे मिलने को...मुझसे मिलने को करता था वो बहाने कितनेअब मेरे बिना गुजरेगा वो जमाने कितनेमैं गिरा था तो रुके थे बहुत लोग;सोचता हूँ उनमें से आए थे उठाने कितनेअब और न दे दर्द मेरे दिल को ज़ालिम;भरे नहीं अभी तक जख्म पुराने कितने
तेरा ख़याल दिल सेतेरा ख़याल दिल से..तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभीबेदर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं अभीकल तूने मुस्कुरा के जलाया था ख़ुद जिसेसीने का वो चराग़ बुझाया नहीं अभीगदर्न को आज भी तेरे बाहों की याद हैचौखट से तेरी सर को उठाया नहीं अभीबेहोश होके जल्द तुझे होश आ गयामैं बदनसीब होश में आया नहीं अभी
तेरे मिलने कोतेरे मिलने को..तेरे मिलने को बेकल हो गये हैंमगर ये लोग पागल हो गये हैंबहारें लेके आये थे जहाँ तुमवो घर सुनसान जंगल हो गये हैंयहाँ तक बढ़ गये आलाम-ए-हस्तीकि दिल के हौसले शल हो गये हैंकहाँ तक ताब लाये नातवाँ दिलकि सदमे अब मुसलसल हो गये हैंनिगाह-ए-यास को नींद आ रही हैमुसर्दा पुरअश्क बोझल हो गये हैंउन्हें सदियों न भूलेगा ज़मानायहाँ जो हादसे कल हो गये हैंजिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर'वो लोग आँखों से ओझल हो गये है