पहले तो अपने दिल कीपहले तो अपने दिल की..पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइएफिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइएपहले मिजाज़-ए-राहगुजर जान जाइएफिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइएकुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनेंमेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइएइक धूप सी जमी है निगाहों के आसपासये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइएशायद हुजूर से कोई निस्बत हमें भी होआँखों में झांककर हमें पहचान जाइए
पहले तो अपने दिल कीपहले तो अपने दिल की..पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइएफिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइएपहले मिजाज़-ए-राहगुजर जान जाइएफिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइएकुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनेंमेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइएइक धूप सी जमी है निगाहों के आसपासये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइएशायद हुजूर से कोई निस्बत हमें भी होआँखों में झांककर हमें पहचान जाइए
आपको देखकरआपको देखकर..आपको देखकर देखता रह गयाक्या कहूँ और कहने को क्या रह गयाउनकी आँखों में कैसे छलकने लगामेरे होंठों पे जो माजरा रह गयाऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ परआखिरी हमसफ़र रास्ता रह गयासोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है येजानेमन जो यहाँ रह गया रह गयाअनुवादकू-ए-तमन्ना = इच्छाओं की गल
नींद की ओस सेनींद की ओस से..नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसेजागना जिसका मुकद्दर हो वो सोये कैसेरेत दामन में हो या दश्त में बस रेत ही हैरेत में फस्ल-ए-तमन्ना कोई बोये कैसेये तो अच्छा है कोई पूछने वाला न रहाकैसे कुछ लोग मिले थे हमें खोये कैसेरूह का बोझ तो उठता नहीं दीवाने सेजिस्म का बोझ मगर देखिये ढोये कैसेवरना सैलाब बहा ले गया होगा सब कुछआँख की ज़ब्त की ताकीद है रोये कैसे
अपना घर छोड़ के हम लोग वहाँ तक पहुँचेअपना घर छोड़ के हम लोग वहाँ तक पहुँचेसुब्ह-ए-फ़र्दा की किरन भी न जहाँ तक पहुँचेमैं ने आँखों में छुपा रक्खे हैं कुछ और चराग़रौशनी सुब्ह की शायद न यहाँ तक पहुँचेबे-कहे बात समझ लो तो मुनासिब होगाइस से पहले के यही बात ज़बाँ तक पहुँचेतुम ने हम जैसे मुसाफ़िर भी न देखे होंगेजो बहारों से चले और ख़िज़ाँ तक पहुँचेआज पिंदार-ए-तमन्ना का फ़ुसूँ टूट गयाचंद कम-ज़र्फ़ गिले नोक-ए-ज़बाँ तक पहुँचे