खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ताखुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ताकिया जाता है पानी में सफ़र आहिस्ता आहिस्ताकोई ज़ंजीर फिर वापस वहीं पर ले के आती हैकठिन हो राह तो छूटता है घर आहिस्ता आहिस्ता
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने मेंतकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने मेंबस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैअच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैकिसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे